एक बर एक चीकू नाम का खरघोष था। एक दिन हम आपके पति के साथ मेरे साथ घूमते हैं और हमसे प्यार करते हैं और आपसे मिलते हैं। उस्ने चिकू से फाल तोड़ कर लों को। Ess par Chikoo ne usse kha ki yeh baag ek
bhaideye (भेड़िया) ka hai jo bahaut khoonkhar
hai। अगार हमको पाट चल गया है हम फाल तोड़े है तो वो हम दोनो को मार देंगे। परंतु चीकू पतनी uske समजने बराबर भी ना मन्नी। हरकर चिकू को फल तोड़े जान पडा। चीकू न जइसे वह फाल तोड़े शोरू करे, वहाण भइद्या आगाया चीकू फुरन फाल लेकार भगा और पासे एके ढोलक में ढोल बजता है और हमारा ढोल बजता है फाल रक्खर बहार आकर चुपचाप खडा हो गया। तभी वहां bhaideya Aagaya aur ussne
chikoo से poocha की क्या ussne kissi khargosh ko वहां से फल ले Jatte हुये देखा hai। चीकू फुरन समज गया के भिडये न हमसे फेकना नहीं। उस्ने भिडेई से कह के अबी-एख करघोष को माने एसे ढोल म्हणो घोसते हुवे दक्ख है। उससके पास बहोत से फाल थाय |
Bhaideya ड्रम ke पास गया से usseme se phalon ki khushboo
aa rahi you। भिडय्या खरोश को मर्दाने के ढोलक में ढोल म्हारे घर। चलक चीकू न फाटफट ढोल का ढाकन बैंड कर दिया। भईया ढोल के और वह मार गया। चीकू और uski patni uss baag ke maalik
ban गे। एसे तराह चीकू न अपन बुढी से न सिरफ आपनी जान बचायै बलाकी हम बा का का मलिक भी बान गया।
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