THE
CLEVER MONKEY
Kissi नाड़ी ke ek किनारे bahaut बड़ा paed था।
Uss ने बराबर ek Bandar rahta tha का भुगतान किया।
उसस पड बड मरदे फले लगत द।
बंदर अनहि बरपित खट अउ मौज उदत्त।
वे अकले हाय माजे में दिन गुज्जर रह गया।
इक दिन इक मग नाड़ी में हम से पडे के नीचे आया।
बन्दर केँ पूँछेँ हमरे बटाए के वोह वहाँ खने के तलेश में आया है।
Es par Bandar ne paed se bahaut se meethe phal tood kar magar ko khane
ke liye diye। एस तराह बन्दर और मगर की दोस्ती हो गई।
आब हमार हर रोज वतन अटा दोनो मिल के कर खोब फाल खाटे।
बँदर भइ इक दोस पात खश ठाँव।
एक दिन बाट-बाट में मगर न बन्दर को बटाया में हमसे पक्की है, जो नादे के साथ हम और ग़ैर में रति है।
तब बन्दर न हम से बहोत से मिलते फाल मगर को हमारी पटनी के साथ ले जाते हैं।
तों तगर मग रोज जी भर के फाल खट्टा और आपनी पटनी के लिऐ भी ले जट्टा।
मागर की पटनी को फाल खाणा अघा लगत पार पति की डार से घर लुटाना पसन्द न थी।
एक दिन सागर की पटनी न सागर से कह के अगर बन्दर से रोज-ए-मिले से मिले फाल खट्टा है से यूका कलेजा कीतना मिलना है।
माई यूका कलेजा खाउंगी।
मगर न उनसे बहोत समुझाय बराबर हम न मानी।
मगर्मच दावत के बहेन बन्दर को आपनी पीठ बराबर बैठा कर अपना घर लागा।
नादि के बीच में हमें बन्दर को अपने पाटनी के कलेजे में बाँट दिया है।
Es par bandar ne kaha ki woh apna kaleja paed par chhod aaya hai। हम यूसे हिफ़ाज़त के लिय़े पे पार रक्खा है।
एसलिये अनह वेपिस जकर कलेजा लना पडेगा।
मगर बन्दर को वापीस ने पे पास ले गया।
बन्दर चayaलग मार्कर प chaड च chaद गय़।
उस्ने हंस कर काहा - "जौ मुरख राज, जौ घर जाउ आपनि पटनी से कहे दुनिआ के सब से बडे मुर्ख हो। भला कोइ कहि आपना कलेजा निकल कर रग सकत है।"
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